हिन्दू धर्म मैं नवरात्री का त्यौहार बहुत ही ख़ास त्यौहार माना जाता है | ये त्यौहार भारत का एकमात्र ऐसा त्यौहार है जो 9 दिनों तक मनाया जाता है और नवरात्री का त्यौहार साल मैं 2 बार मनाया जाता है | ये त्यौहार माँ दुर्गा का त्यौहार भी कहा जाता है इस त्यौहार मैं 9 दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा करते है और व्रत रखते है | नवरात्री के आखिरी दिनों मैं कन्याओं की पूजा की जाती है और उन्हें भोजन खिलाया जाता है | ये त्यौहार पूरे भारत देश मैं काफी हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है |
नवरात्री के त्यौहार के दौरान आज हम आपको ऐसे चमत्कारिक टोटको के बारें मैं बताने जा रहे है यदि आप इन टोटको को करते है तो आपके आपके जीवन मैं चल रही सुख शांति, धन संपत्ति और जीवन साथी की समस्या से आपको छुटकारा मिल जायेगा | नवरात्री के ये टोटके बेहद ख़ास और असरदारक होते है यदि आप इन टोटको को करते है तो आपको मन चाहा फल प्राप्त होगा और आपके मन की ईच्छा भी जरूर पूरी होती तो चलिए जानते है इन टोटको के बारें मैं...
नवरात्री के ख़ास और चमत्कारिक टोटके
धन-लाभ प्राप्त करने के लिए
धन लाभ प्राप्ति का ये टोटका नवरात्री के आखिरी दिन यानी नौ वे दिन किया जायेगा | इस टोटके को करने के लिए आप ऐसा करें एक शांत और एकांत कमरे मैं पीले रंग का आसान लगा कर बैठ जाये और अपना मुख उत्तर दिशा की और रखे और अपने सामने तेल के नौ दीपक जला ले और दीपक के सामने चावल की ढेरी बनाकर उसके ऊपर श्री यंत्र रख दें और फूल, धूप और द्वीप से इसकी पूजा करें | एक प्लेट पर स्वस्तिक बनाकर पूजा करें उसके बाद आप इस यंत्र को उठाकर पूजा स्थल मैं रख दें और बची हुई सामग्री को किसी नदी मैं प्रवाहित कर दें | यदि आप इस टोटके को करते है तो आपकी जिंदगी मैं चल रही धन की कमी दूर हो जाएगी और नई खुशिया आपकी जिंदगी मैं प्रवेश करेंगी |
मनचाहा जीवन साथी पाने के लिए
बहुत सारी ऐसी लड़किया होती है तो अपने विवाह और जीवन साथी को लेकर चिंतित रहती है | अपना मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए नवरात्री के शुभ अवसर पर इस टोटके को करना काफी शुभ माना जाता है | इस टोटके को करने के लिए आप ऐसा करें एक शिव पार्वती का चित्र अपने पूजा घर मैं लगा दें और नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए 10 माला का जाप करें और उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती से आपके विवाह मैं आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए प्रार्थना करें |
ॐ शं शंकराय सकल-जन्मार्जित-पाप विध्वंसनाय
पुरुषार्थ-चतुष्ट्य-लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा | |